ई साला टाइम पास नही हो रेला है, तो अपुन ने सोचा इधर कुछ आड़ाटेढा लिख देते है, कोई पढ़ता तो है नही, और अगर पढ़ भी लेगा तो क्या पा लेगा, अपनने कोई ज्ञान तो बांटना है नही। अपुनके पास खाली दिमाग है, भरवाने गया था तो दुकानदार बोला भिड़ू अगले हफ्ते आ, अगले हफ्ते अपुन फिर गया, साला वो खड़ूसने ने फिर अगले हफ्ते का नाम लिया, अपुन फिर अगले हफ्ते गया, इस बार भी वो अगले हफ्ते का वायदा किया, आज कई साल हो गए लेकिन उसका अगला हफ्ता आया नही और अपना दिमाग खाली का खाली च रे गया..! अभी उधर ही च जा रेला था कि दीदी की नोटिफिकेशन आयी, अपुन ने खाली नोटिफिकेशन पैनल देखने के वास्ते वाइक्यू खोला लेकिन अभी एक ठिकाने बैठ के ये आड़ा टेढा छाप रेला है, जिसको पढ़ना है पढ़े ना पढ़े उनका भी कोई घाटा तो है नही, क्योकि अपनने पेले ही च कहया था कि इसमें कुछ है तो नही, ज्ञान बांटने थोड़े आयला है अपुन..!! बस ऐसेही कीबोर्ड पे उंगलिया घिस रेला है... उससे होगा क्या पता है भिड़ू? अंगूठे की धार तेज होगी.. आजकाल पढ़ाईलिखाई के जमाने मे भी अंगूठा चलता है, अंगूठे के निशान के बिना मोबाइलच नही खुलता रे.. अंगूठो ने मिलके लिखेला मोटी तगड़ी सरकारों को हिला के रख देता है ना भिड़ू.. !! आइला ये तो बड़ी ज्ञान की बात करदी, वो दुकान वाला राह देख रहा होगा , उसको भी तो वायदा करना है, वायदे का है तो पक्का, अगले हफ्ते का बोलता जरूर है, अरे कोई पढ़ रेला होगा तो बोलेगा ये क्या लिखा है, लेकिन अपुन ने तो पैलेहीच बोला था अपुन कोई ज्ञान नही बाट रा. .. !! जो भी खाली दिमाग मे आ रेला है छाप रा है..! अभी क्या आ रेला है पता? साला मच्छर बहोत काटरेले, अपुन अभी इनफ करता है..! क्या है कि खुजाना भी है, खुजायेगा नही तो तृप्तिकि अनुभूति कैसे होगी?
अगर तुम भिडुलोगने पढा है तो तुम्हारी सहनशक्ति को साढ़े-एक तोप की सलामी..!!