गजब का संयोग हुआ अभी कुछ दिन पहले..! क्रूर समय को काटने हेतु मेने वेब सीरीज़ देखनी चाही, किसी मित्र से सलाह-सूचन को मान्य करके महारानी देखनी शुरू की, सीज़न १ और २ देख लिए थे, तीसरा भी देख चूका.. अच्छी है। पोलिटिकल ड्रामा... बिहार का मुख्यमंत्री होता है, भीमा भारती, नायक था, तो सहज था की वह घायल हो, किसी ने गोली मार दी, उसने सत्ता का हस्तांतरण किया अपनी ही पत्नी रानी भारती के हाथोमे। अब रानी थी तो अनपढ़ पर गाँव की वह गँवारन समीकरण बनाना जानती थी तो थोड़े ही समय मैं करप्शन और गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज़ उठा दी, पता चला की उसका पति भीमा भी करप्ट है, तो उसे जेल करवा देती है, फिर विरोध पक्ष वालो को तथा अपने पक्ष के सभी गुंडे और करप्ट लोगो को अल्टीमेटम दे देती है, विरोधपक्ष उसकी सत्ता पलट देता है, भिन्न सोच वाले भीमा और रानी एक होने ही वाले थे की भीमा की हत्या हो जाती है, और आरोप लगता है रानी पर ही..! रानी जेल में रहते ही बदला लेने हेतु भीमा के एक हत्यारे को मरवा देती है, और वह हत्या हार्ट अटैक में गिनी जाती है, अंत में सबसे बड़े विलेन की भी हार्ट अटैक से ही मौत हो जाती है, जो हकीकत में हार्ट अटैक तो नहीं ही था..! सीरीज़ ख़त्म हुई, और दूसरे ही दिन समाचारो में आया की जेल में मुख़्तार अंसारी की हार्टअटैक से मृत्यु हुई...!!! कैसा संयोग है.. है न..???
चुनाव आ रहे है लोकसभा के.. प्रधानमंत्रीजी चुने जाएंगे.. देश का भविष्य निर्माण होने समय आया है.. राजनीती होगी.. सारे समाज जाति को जुदा की जाएगी, धर्म अलग किए जायेंगे, व्याख्याए रची जाएगी, वायदे किए जाएंगे। और सत्ता हो हांसिल करने हेतु नीरा झूठ परोसा जाएगा..! समाज या समुदाय में फुट डालनी पड़े तो वह करो, राजनीती करो..! आपस में बैर बनेगे, समझौते भी होंगे, प्रतिष्ठा को बट्टा लगता है, लगने दो, राजनीती है, सत्ता आएगी तो प्रतिष्ठा पुनः आ जाएगी..! पैसा पानी की तरह बहेगा..! मंदी - क्या होती है मंदी? जहाँ देखो वहा पैसा ही पैसा होगा..!
गुजरात में राजकोट की सीट से केंद्रीय मंत्री परसोत्तम रुपाला भाजप की और से खड़े है..! वैसे तो मैं रुपाला के कई सारे वक्तव्यों से प्रभावित हूँ, पर जब बात राजनीती की आती है, तब ये सारे लोग पद-प्रतिष्ठा-अनुशाशन भूल कर हड्डी रहित जिह्वा का प्रचुर प्रयोग करते है..! रूखी समाजके भजनीक कार्यक्रम में रुपाला साहब गए थे, किसीने उनके हाथो में माइक थमा दिया.. अब राजनेताओ के हाथ में माइक आ जाए फिर तो किसीके बापसे ना रुके यह लोग..! अपनी मजाकिया शैली के लिए जाने जाते और संयुक्त कुटुंब को आचरण में लाने की अपील करते रुपाला साहब बोल गए की, "बिना झुके सहन तो सिर्फ रूखी समाज के लोगो ने किया है, बाकी राजा-महाराजाओने तो उन लोगो के साथ रोटी-बेटी तक के संबंध बना लिए थे..!" और फिर क्या.. क्षत्रिय समाज द्वारा रुपाला साहब के पुतले जलाए गए, शहर शहर में कलेक्टरों को आवेदनपत्र दिए गए..! एक तो चुनाव का सीज़न, उपरसे क्षत्रिय बहुल क्षेत्र में रूपला साहब ने जिह्वा कुचल दी, कुछ ही घंटो में रुपाला साहब का माफीनामा का विडिओ रिलीज़ हुआ, लेकिन आग लग चुकी थी, वो भी काबू से बहार, प्रत्येक क्षेत्र के क्षत्रियो ने रुपाला का भरपूर विरोध किया, मामला हाथ से जाता रोकने हेतु रुपालाने तत्क्षण गोंडल के विधायक जयराजसिंह जाडेजा के साथ बड़ी मीटिंग का एलान किया, बीजेपी के क्षत्रिय उमेदवारो ने रुपाला को माफ़ किया, मीटिंग में जयराजसिंह ने धमकी तक दे डाली की जिनको आपत्ति है वो मुझसे परसनली आकर मिले।
और क्षत्रियो का रोष और बढ़ गया..! रुपाला के विरोध के साथ साथ कुछ लोग अब जयराजसिंह को भी टारगेट करने लगे..! सूना हे, कल गुजरात बीजेपी अध्यक्ष C R PATIL ने भी क्षमायाचना की, क्षत्रियो से माफ़ करने की गुहार लगाई..! लेकिन वैसे ये एक न्य ट्रेंड शुरू हुआ है, पहले आपत्तिजनक टिपण्णी करो, फिर कुछ ही घंटो में क्षमायाचना भी करलो.. इस ट्रिक का उपयोग बॉलीवुडिया संजय लीला भंसाली बखूबी करता है..! उसे अपनी फिल्म का प्रमोशन नहीं करना पड़ता, लोग स्वयं ही विरोध करके उस फिल्म का नाम अमर कर देते है..! बस यही होता है चुनावों में.. हलचल भी जरूरी है इन लोगो के लिए..! गुजरात बीजेपी में इतने सारे क्षत्रिय है, कच्छमें प्रद्युम्नसिंह जाडेजा, वढवाण राजवी परिवार के केसरीदेवसिंह झाला, भचाऊ-रापर के वीरेन्द्रसिंह जाडेजा, गोंडल के जयराजसिंह जाडेजा, लींबडी के किरीटसिंह राणा, पालीताणा के महेंद्रसिंह सरवैया, धंधुका-धोलेरा के भूपेंद्रसिंह चुडासमा, यह सब कद्दावर नेता है, ऊपर से क्षत्रिय, राजवी परिवार से भी है, फिर भी इनको सत्ता के आगे प्रतिष्ठा कुर्बान वाली स्थिति है इनकी.. हालांकि अब इन लोगोने "क्षमा वीरस्य भूषणम" वाली उक्ति को प्रमोट किया है.. की क्षत्रिय दुश्मन को भी क्षमादान करते थे तो रुपाला साहब तो अपने है..! जुबान फिसल गई होगी..!
मैं कहता हु की ऐसी जिह्वा क्या काम की जो अपनी निति के आधीन न रहे..! जोश में होश खोना इसे ही तो कहते है, अब गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष तक सारे मीटिंग्स कर रहे है, हाथ जोड़कर क्षमायाचना कर रहे है, किसी किम्मत पर चुनाव से पहले क्षत्रियो के साथ समाधान हो जाए..! मै मोदी से प्रभावित हूँ, अमित शाह की राजनीती पसंद है, खासकर जयशंकर साहब की शैली रुचिकर है, बीजेपी के निर्णयों तथा कार्यो से पूर्णतया सहमत भी हूँ, किन्तु बात जब स्वयंके स्वाभिमान की आती हो, उनसे मुंह मोड़ना उचित भी है..! मुझे तो उन बीजेपी के रंग में रंगे क्षत्रिय नेता पर भी करुणा आती है की सत्ता के लिए कदाचित ये लोग नाक भी उनके तलवे में रगड़ लेंगे..! मै सिध्धांतो के साथ समझौते करने वालो से जरूर बचकर रहता हूँ।
गुजरात तथा राजस्थानी सामान्य प्रजा ने कभी अंग्रेजो का सीधा शाशन देखा ही नहीं है, गुलामी किसे कहते है यह प्रजा जानती ही नहीं है, हंमेशा से प्रजा तथा अंग्रेजो या मुघलो के बिच में यह राजा-महाराजा रहे है जिन्होंने अपनी आय से भुगतान कर प्रजा को उन सीधे हस्तक्षेपों से बचाए रखा, जहां लड़ना पड़ा वहां यह राजा-महाराजा लड़े है, जहाँ बुद्धि से मामला हल होता है वहां इन राजाओंने मुघलो तथा अंग्रेजो को भी ठगा है क्योंकि उन्हें अपने साथ साथ अपनी प्रजा को भी सुरक्षित रखना था..! जब बात आई भारत निर्माण की तब इनके पुरखोने अपनी भुजाओ से अर्जित किये उस राज्य को सरदार पटेल को सौंप दिया था..! हां कुछ राजा ऐसे भी थे जिन्होंने बदले की आशा रखी थी, पर उनकी भी कुछ मजबूरियाँ रही होगी..! खेर, वह प्रजा जिसने न मुघलो का, न मराठो का, न हो अंग्रेजो का सीधा शासन देखा हो, वह आज राजा-रजवाड़ो को विरुद्ध अपशब्द कहे तो उसमे उनकी ओछी मानसिकता ही नजर आएगी..!
रुपाला साहब ने माफ़ी तो मांगी, लेकिन अपनी पार्टी के लिए, जब ट्विटर... ओह अब एक्स पर हैशटैग्स उनके खिलाफ ट्रेंड करने लगे, पूरी की पूरी बीजेपी के खिलाफ हैशटैग चलने फिर क्या था, राजनेता साहब के समर्थन में भी कुछ ट्वीट्स आने लगे..! कल या परसो, मेने एक्स खोला, देखा ट्रेंडिंग में क्या चल रहा है, तो छठे स्थान पर #IAMWITHRUPALA दिखा..! सोचा देख लेते है, कितने लोग साहब को सपोर्ट कर रहे है, तब पता चला की सरे ट्वीट्स नकली थे..! सारे ट्वीट्स में एक ही फोटो लगी हुई थी, और कही कही अंग्रेजी ट्वीट्स में तो साहब को "HE" की जगह "SHE" लिखा दिखा..! अब इस ट्रेंडिंग हैशटैग को सच कैसे माना जाए..? भाई लोकतंत्र है, उसमे भी चुनाव.. यह सब दावपेच तो खेले ही जाएंगे..!
लेकिन एक सीमा में रह कर सब हो तो ठीक है, किसी एक समाज के सम्मेलन में यदि आप दूसरे समाज की बुराई करो, तो वह प्रगति नहीं है, आप उन दो समाज के मध्य क्लेश पैदा कर रहे हो..! अरे हां, रुपाला साहब ने गोंडल वाली मीटिंग में माफ़ी मांगी तब उनके शब्दों से एक नया बवाल भी तो उठा था, सांतलपुर में SC / ST वालो ने और केस डाल दिया की, क्षत्रियो वाली मीटिंग्स में रुपाला जी ने अब उनकी भावना आहत कर दी..! लोकतंत्र है न साहब, यहां हर किसी के पास अधिकार है..! तो वाणीविलास मर्यादा में हो तब तक बहुत ही अच्छा है..!!
चलो, बाकी फिर मिलते है..!