आज मन उद्विग्न जरूर है लेकिन रोम रोम गर्वान्वित हो उठा है..! बात कुछ राजनैतिक करनी है।
भारत जब स्वतंत्र हुआ, राजशाही गई, लोकशाही आई। प्रजा में से ही कोई उठकर राजतंत्र सँभालने को तैयार हुआ..! राजाओ को कहा गया, "सिंहासन खाली करो..!" कोई बात नहीं, समय समय बलवान, राजाओंने प्रजामत ध्यान रखकर लोकशाही और अखंड भारत की स्थापना हेतु अपना अधिकांश हक भारत को सौंप दिया। नहीं! मैं कुछ गिनवाना नहीं चाहता।
भारत के 562 देशी राज्यों में से 222 गुजरात में थे। भावनगर महाराजने सर्वप्रथम इस देशके निर्माण हेतु अपना राज्य सौंपा, लेकिन यह लोकशाही ने भूतपूर्व राजकर्ताओ से सिर्फ और सिर्फ उनकी संपत्ति ही नहीं ली है... धीरे धीरे उनका मान-सन्मान भी छीना..! गुजरात में पिछले कई वर्षोसे सत्तारूढ़ भाजपा अब घमंड में आ गयी हो ऐसा लग रहा है..! ऐसा नहीं है की मैं कोंग्रेसी हु, या कोई भाजपा का प्रखरविरोधी हूँ। मैंने आज तक अपने सारे मत भाजपा को ही दिए है। लेकिन इस बार सोचना पड़ेगा..!
बात बस यही है की कब तक क्षत्रियो की अस्मिता पर भाजपा प्रहार करती रहेगी? रूखी समाज का कोई कार्यक्रम था, भाजपा के केंद्रीय मंत्री और राजकोट सीट से उम्मीदवार परषोत्तम रुपाला ने क्षत्रियो पर उस सामाजिक भजनीक कार्यक्रम में आपत्तिजनक शब्दों से प्रहार किया। होना क्या था, अंगारे में आग लगी, क्षत्रियो ने रुपाला और भाजपा से निवेदन किया, की एक ही छोटी सी मांग है, रुपाला की टिकिट रद्द की जाए..! पर भाजपा इस बार कुछ अलग ही मिजाज दिखा रही है..! न तो दिल्ली में बैठे दोनों गुजराती यहाँ ध्यान दे रहे है, न तो गुजरात की भाजपा..! गुजरात के प्रत्येक जिल्लो में कलेक्टरों को क्षत्रिय समाज ने विशाल संख्या में आवेदन-निवेदन किया है की रुपाला की टिकिट रद्द करो..! अरे कुछ ने तो यहाँ तक कह दिया, की रुपाला की जगह भाजपा की और से एक पथ्थर रख दो, वह पथ्थर जीतेगा, भाजपा सीट पक्की आएगी, लेकिन रुपाला को हटाओ बस..! लेकिन अपने मद में चूर भाजपा के कान बेहरे हो गए है..! परिणाम क्या आया? राजकोट के पास रतनपर गाँव में क्षत्रिय अस्मिता महासम्मेलन का आह्वान हुआ..! इस आह्वाहन का पूरा विश्लेषण करना जरुरी है..!
जब से रुपाला ने दो बार माफ़ी मांगी तब से मेरी नजर इस पुरे घटनाक्रम पर अवश्य ही रही है..! हाँ, रुपाला दो बार माफ़ी मांग चुका है, लेकिन क्षत्रियो ने पहले कई ओ माफ़ किया भी है, पर यह अब हर बार का हो चूका है, और इस बार क्षत्रियो ने शंख फूंक दिया है..! आवेदन, सभा से लेकर जौहर तक की बातो के बाद, निश्चय हुआ महा सम्मलेन का..! तारीख निश्चित हुई 14 april 2024..! गुजरात सरकार
भी लड़ लेने के मूड में लगी। राजपूतो के संकलन समिति ने राजकोट के ही पास में रतनपर गाँव में जगह निश्चित की, समाज को आह्वाहन किया की आज मस्तक गिरानेका नहीं किन्तु गिनाने का समय है। प्रतिसाद आया कि, "हम तैयार है.." प्रत्येक सोसियल मिडिया एक्स से लेकर इंस्टाग्राम और फेसबुक सभी जगह 14 अप्रैल शाम पांच बजे रतनपर रामजी मंदिर के पास महासम्मेलन में "मैं आ रहा/रही हूँ" ही देखने मिल रहा था, सरकार की नजर भी इस मामले पर पूरी थी।
क्षत्रिय समाज के आर्थिक मजबूत व्यक्तिओने प्रत्येक जिले से बस का इंतजाम कर दिया ताकि जो लोग आर्थिक स्थिति से कमजोर है और आना भी चाहते है उन्हें कोई समस्या न हो..! कुछ लोगो ने आर्थिक सहायता की, कुछ ने शारीरिक, ताकि सरकार को सन्देश जाए की हम सक्षम है यदि तुम्हे लड़ना हो तो..! सुना है राजमार्ग पर आने वाले कुछ टोल भी फ्री कर दिए गए थे, इससे सरकार को सन्देश जाता है की समाज की पहुँच कहाँ तक है..! राजमार्ग पर कुछ होटल बिजनेस वालो ने अपनी होटलो में भोजन की निःशुल्क व्यवस्था कर दी.. समाज की यह एकता कितने वर्षो के पश्चात देखने मिली है यह मैं शाब्दिक स्वरुप से कह नहीं पाउँगा..! लगभग दोपहर के बाद चार बजे से पहले ही मैदान में विशाल संख्या में क्षत्रियो का इकठ्ठा होना शुरू हो गया था..! संख्या का अंदाजा आप यूँ लगा सकते है की मेरे छोटेसे गाँव से ही 10-12 फोरव्हीलर कार जिसमे पांच लोग अवश्य ही थे, और एक 30 सीटर बस दोसो किलोमीटर का सफर तय कर के रतनपर, राजकोट पहुंचे थे..! क्षत्रियो के साथ साथ आदिवासी, दलित, पटेल, और मुस्लिम समाज के भी कुछ अग्रणी इस सभा में हाजिर रहे, सबने अपने वक्तव्यों में एक ही स्वर में एक ही बात कही, "रुपाला की टिकिट रद्द करो..!" साथ में एक अल्टीमेटम भी दिया गया, की अगर भाजपा सरकार के कान तक रही तो 19 तारीख के बाद पुरे गुजरात में और देशभर में भाजपा सरकार के कान खिंचकर कहा जाएगा की, "सुनो, लोकतंत्र लोगो से चलता है.."
गुजरात की भाजपा सरकार ने निर्लज्जता दिखाते हुए, इस महा सम्मलेन से प्रदेश की सुरक्षा सँभालने हेतु पुलिसबल जो तैनात किया वह सारा क्षत्रिय था..! मानो भाजपा लोहे से लोहा काटने में लगी हो..! पर उनको कौन समजाये, की लोहा गर्म हो तब लोहे से लोहा मिल जाता है, काटता नहीं है..! अब बात करते है संख्याबल की... भाजपा सरकारने सोचा था, पचास-साठ हजार इकठ्ठे होंगे.. लेकिन संख्या जन-सैलाब इतना हुआ की 13 एकर की जमीन छोटी पड गई..! किसीने कहा दस लाख की संख्या हुई थी, तो किसी ने कहा दो लाख लोग थे..! किसीने पांच लाख कहा। दिव्यभास्कर दैनिक की AI रिपोर्ट के अनुसार संख्या 3 लाख थी, और मैदान में आने को उत्सुक 7 किलोमीटर तक लगे ट्रैफिक जाम में वाहनों में बैठे लोगो की 1 लाख की संख्या का आकलन किया गया..! हालाँकि, समिति ने अपने अंक अभी जाहिर किये नहीं है, क्षत्रिय संकलन समिति ने जो आयोजन किया उसमें डॉक्टरों से लेकर स्वयं सेवको तथा व्यवस्था, और आने वालो लोगो की संख्या तक गिनती की गई थी, तो अंदाजन पांच लाख से अधिक लोग तो अवश्य ही होंगे उस मैदान में..! अब भाजपा के प्रत्याशी परषोत्तम रुपाला ने भाजपा की होने वाले सम्मलेन में क्षत्रिय सम्मलेन से दस गुना ज्यादा लोग होंगे ऐसा दवा किया है, लेकिन मैं यह सोच रहा हूँ की, यह राजकोट जैसे शहर के मध्य 50 लाख लोग इकट्ठे कैसे करेंगे? खैर, मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला क्षण यह था की, इतनी भारी संख्या राजपूतो को एकत्र करना न भूतो न भविष्यति जैसा कार्य था..! ऊपर से भाजपा ने परषोत्तम रुपाला को अब अपना "स्टार प्रचारक" घोषित किया है..!
मुझे यह समझ नहीं आ रहा की भाजपा क्या चाहती है? क्षत्रियो के इस शांतिपूर्ण विरोध के उग्र होने के इंतजार में है क्या? हार्दिक पटेल वाले अनामत / आरक्षण आंदोलन की भाँती भाजपा क्या चाहती है की क्षत्रिय सारी बसे फूंक दे? क्या रोड चक्काजाम करे? क्या भाजपा चाहती है गुजरात में अशांति हो जाए? यदि तुम्हे सत्ता में बने रहना है तो सबको साथ लिए चलना होगा..! राजकोट सीट पर 150 से अधिक फॉर्म लिए जा चुके है..!
वैसे इस सम्मलेन के बाद एक और चर्चा जोर पकड़ रही है, "kham theory" 1980 के
आसपास माधवसिंह सोलंकी ने गुजरात में यह "KHAM THEORY" अपनाकर
चुनाव जीता था..! KHAM का अर्थ था, क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी, और मुस्लिम.. इन चारो को अपने पक्ष में कर माधवसिंह चुनाव जित गए..! और कल राजकोट में हुए क्षत्रिय महासम्मेलन में क्षत्रिय के आलावा मुस्लिम समाज से, हरिजन-दलित समाज से, और आदिवासी समाज से भी इनके सामाजिक अग्रणी या कार्यकर्त्ता ने हाजरी दी थी तो अब चुनावों के समीकरणों में कुछ तो हो रहा है..!
एक मजे बात और सुनिए, जो मैदान इस सम्मेलन के लिए आयोजित हुआ, वह एक खेत-जमीन थी, और यह गर्मी की ऋतु में खेतो में एक पक्षी जिसे गुजराती में टिटोड़ी, हिंदी में टिट्टिभ/टिटहरी और अंग्रेजी में Red-wattled lapwing भी
कहते है वह अंडे देती है, उसके घोसले को छोड़ कर कार्पेट्स बिछाए गए थे, और पूरा सम्मेलन सम्पूर्ण होने के बाद आज उस जगह का विडिओ आया है की वह अंडे ज्यों के त्यों सुरक्षित पड़े है..! प्रकृति का कमाल ही है की पांच लाख लोग के जहाँ पाँव पड़े हो, फिर भी वह घोंसला सम्पूर्ण सुरक्षित ही रहा..! भाजपा सरकार इस बात पर ही कुछ संज्ञान ले ले..!!!
भाजपा की सरकार से अभी भी विनम्र पूर्वक निवेदन यही है की बस सिर्फ रुपाला की टिकट रद्द करदो वर्ना गुजरात की सर्व सीट पर आपको क्षत्रियो की असर तो जरूर दिखेगी। शांति में ही सबका विकास है..!