The court of smoke and nightmares || धुंआ तथा दुःस्वप्नोका न्यायालय..!! भाग १ ||

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The court of smoke and nightmares
धुंआ तथा दुःस्वप्नोका न्यायालय..!!
"ऑडर ऑडर... कीप साइलेन्स।" थोरके जैसा हथोड़े को दो बार मेज पर पटक कर जजसाहब पूरन कौरने अदालतमें गर्जना करते ही एक सन्नाटा सा पसर गया। जो जहाँ था, वही थम गया..। किसीके मुंह से उन्ह भी ना निकल पाए ऐसा परिवेश था, सुना है, जजसाहब को शांतिभंग कदापि पसंद नही, पिछली बार एक जन को उबासी लेते वक्त आवाज करने के कारण मुंह बंद रखके पाँचसौ उबासी की सजा का फरमान कर दिया था..! न्यूज़ रिपोर्टरों तथा वकीलों से खिचोखिच भरा वह कमरा पिण्ड्रॉप साइलेन्स सजाये बैठ गया।

आरोपी कठघरे में खड़ी थी एक कहानी, और उस पर आरोप था निष्पक्ष प्रदर्शन का..! उसका सत्य तो उसे ही मालूम था पर यह अदालतमें उसे अपना मूल्य साबित करना था। कई लोगोंने उसे पढा था, उसके बहकाने से बहे भी थे, किन्तु उस कहानी का अंत कोई समझ नही पा रहा था, तो उसका मूल्यांकन भी इसी कारण अटक सा गया था। कहानी कुछ को पसंद थी, कुछ को नही, किन्तु यह दोनों कुछ की संख्या समान थी।

इस तरफ वकील धुआंधारने कहानी के बचावपक्ष को प्रस्तुत करते कहा, की यदि कहानी बुरी नही तो अच्छी है ही, जैसे कोई फल यदि बिगड़ा नही तब तक वह भोजन के योग्य तो है, गुणकारी भी।

और आलस्यसे भरपूर भुजाओ को मेज पर निरसतापूर्वक पसरा कर सरकारी वकील दुःस्वप्नदासने तर्क देते हुए कहा, किन्तु यदि वह फल जिह्वा को रसप्रद नही तो वह किस काम का? पॉइंट टू बी नोटेड माय लॉर्ड।

त्वरित गतिसे खड़े होकर धुंआधारने अपने तर्कको समर्थन देने हेतु कहा, "लेकिन, जजसाहब! फल के गुणधर्मो को प्रथम महत्व देना चाहिए, रस वगेरह तो गौण है।"

"अरे मेरे वकीलमित्र श्रीमान को ज्ञात हो कि, जो आंखों को दिखता है, वह बाह्य रूप ही तो उसका प्रथम परिचय है, गुणधर्म तो उसके पश्चात आता है, जैसे, सेब लाल होता है वह प्रथम चरण है, उसके बाद वह मीठा हो या खट्टा, वह तो बाद में पता चलता है, और उसके फायदे तो पाचन होने के बाद ही पता चलेंगे.. तो गुणधर्म का आगमन तो बहुत बाद में हुआ, जो है वह रूप तथ रस प्रथम माध्यम है, चाहे कहानी हो या फल.. पॉइंट टू बी नोटेड माय लॉर्ड" कहते हुए मुखारविंदसे ढेर सारी आलस्य को जैसे बिखेरते वकील साहब दुःस्वप्नदास अपने स्थान ग्रहण हेतु चले।

जजसाहब पूरन तर्को को ध्यानपूर्वक अपने पन्नो में उतारते हुए भी भड़क उठी, पता है, मेरे को मत सीखा चल.. सब्जिओकी सीजन है, और तुम दोनों फ्रुटमे उलझ रहे हो.. कलसे दो दिन तक ओय तू टिंडा और ओय सरकारी तू तूरी ही खायेगा, ये सजा है..!! दो दिन के बाद कि तारीख देती हूं… परसो टाइम से आ जइयो..! कहकर जजसाहब पूरन एक अपने अधूरे चित्रमें रंग पूरने लगे, और पीछे खडे दंडधारीने अगले को पुकार लगाई…!!

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अखबार वालोंने बड़ी बड़ी हेडलाइन में छापा.. गुसैल जजने दोनो वकीलों को डांटा।

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