भार सहन नहीं हो रहा अब, मानो गिरनार को छाती पर लिए बैठा हूँ। तुम्हारी आदत सी हो गई थी, शायद अब छूट गई है। सोचा था व्यसन है, लेकिन नहीं, आसान है तुमसे दूर होना। शायद अब में तुमसे अलग होने के लिए तैयार हूँ। ऐसा ही होता है जब तुम बहोत ज्यादा कल्पनाए अपने मन में गढ़ लो, फिर वास्तविकताएं मूलतः भिन्न होती है..! जीवन कभी कभी बॉलीवुड के चलचित्र की भांति नहीं होता, मैं जानता हूँ! पर मैं चाहता था की अपने मध्य कोई चमत्कार हो, कोशिशे की, पर व्यर्थ.. कोई भी परिणाम नहीं आया। हां, तुमसे दूर होने के अलावा। अब में चाहता हुँ हम कभी फिर एक न हो..! पर मन कितना निष्ठुर है, कहीं न कहीं लगने को उत्सुक ही रहता है। नहीं तुमसे तो अब मन कदाचित नहीं ही लगेगा, पर मैं चाहता हूँ की अब यह मन कहीं भी न लगे.. किसीसे भी नहीं।
मैं बस रील्स देखता रहता हूँ, फिर दो तुक पंक्तिया पढता रहता हूँ, फिर कुछ न कुछ लिखने के लिए मन को विवश करता रहता हूँ, अंत में बिस्तर पर अनेको करवटें लेता पड़ा रहता हूँ, लेकिन निंद्रा की देवी रुष्ट है। घड़ी में बड़ी सुई छह पर और छोटी एक और दो के मध्य न आ जाए तब तक तमसमे करवटों का सिलसिला यथावत रहता है, और मन को तो यही चाहिए.. फिर मन कहाँ कहाँ भागता है कोई ठिकाना नहीं है, किसी न किसी के प्रति मेरे ह्रदय को ले जाने को इच्छुक मालुम पड़ता है, पर फिर मैं एक सिगरेट सुलगाकर उस धुंवे के पीछे मन को भगा देता हूँ..! मुझे लगता है मैं जितना इस प्रेम को कोसता हूँ, वह किसी न किसी रूप में मुझसे उलझने का प्रयत्न करता है, मैं फिर दूर भागता हूँ। नहीं चाहिए मुझे यह वासना। कोई कहता है, इस प्रेम को तास्वरूप स्वीकार करो, फिर जीवनके नए रंगो से पहचान करो.. कोई कहता है, जितना उससे दूर भागोगे वह उतना ही तुम्हे अपने सिकंजे में लिए जाएगा, कोई कहता है अभी तो तुम्हारे सामने पूरी जिंदगी पड़ी है, कैसे निकालोगे? कोई कहता है, गई गुजरी जाने दो, नया मन लगाओ, अभी तो युवा हो..!
क्या करूँ? समाज में रहना है, सबकी सुननी है, किसी की माननी भी है, और फिर उन सब को प्रत्युत्तर में बस इतना कहता हु की जब मुझे मेरे मापदंड के लायक कोई मिलेगा तब उससे अवश्य मन मिला लूंगा.. फिर वे मुझसे पुनः मेरे मापदंड बताने को विवश करते है, और मैं फिर कभी बताऊंगा कहकर किसी अन्य बातो में उन्हें उलझा देता हूँ.. पर कब तक मैं यह कर पाउँगा? कब तक अपनोके प्रश्नो को टाल पाउँगा? इतना सामर्थ्य मुझमे नहीं है, एक बार तो मैं ठोकर खा चुका हूँ, गहरी चोट से आज तक उभर नहीं पाया, निशाँ अभीतक वह दास्ताँ दोहराते रहते है..!!!
तुम्हे पता है ना मैं सोचता बहुत हूँ, फिर ख्याल नहीं रहता कहाँ से कहाँ पहुँच जाता हूँ..! जिस दिन तुमने जख्म दिया था, सोचा था तुम्हारे बिना मुझे चा (चाय) कौन देगा, सोचा था कोई और चा गले से उतर नहीं पाएगी, पर गलत बात है! रोड पर रेड़ीवाला भी अच्छी चा बना लेता है, और गले से तो क्या सीधे जठराग्नि को पोषित करने को सक्षम है यह चा..! बहोत सी भ्रान्तियाँ है इस प्रेम मैं, कल्पनाकी उत्कृष्ट कारीगरी है प्रेम। प्रेम परिचय है अज्ञानता का, उपरसे बेव्ड़ो को और पिने को प्रेरित करता है यह प्रेम.. एक दिन मैंने भी बोतल खोल ली.. सोचा था जख्मो पर मरहम करेगी, गलत बात है, इसने और कुरेद दिए..! पर अब परवाह नहीं है, न मेरी, न तुम्हारी, न समाज की.. चार लोग चार दिन चार बाते करेंगे, समय बीतेगा, भूल जाएंगे। न भूल पाउँगा तो एकमात्र मैं, और यह घाव..!
बहुत व्यथा लिख दी, है न? यदि तुम अभी भी पढ़ रहे तो दो संभावनाए है, तुम भी व्यथित हो, या फिर तुम्हे दूसरे के जीवनमें झाँकने में रस है, फिर उससे अपनी तुलना करोगे, लेकिन सलाह मानो अपनी परिस्थियोंकी इस स्थिति से कभी भी तुलना मत करना, बेवजह तुम अपनी अच्छी भली जिन्दगीमे जहर घोल लोगे.. तुम्हे बस यही सीखना चाहिए की तुम अपने प्रेम को प्रेमपूर्वक प्रफुल्लित रख सको। अब वह प्रेम की परिभाषा मै दोहराना नही चाहता.. लेकिन हाँ, यदि तुम भी व्यथित हो तो उस व्यथा तथा वेदना से तुम्हे स्वयं ही बाहर आना होगा, किसी की भी अपेक्षा मत रखना, किसी के कंधे की आशा मत करना, तत्काल किसी और से मन भी मत लगा लेना...
डायरी - ११/०३/२०२४, सोमवार, १७:१३
Saras
ReplyDeleteबहोत बहोत धन्यवाद..!!
DeleteBehad pyara, haan thoda overthinking se bhi bhara. Par padhkar acha laga. Hindi Language ki itni knowledge nahi hai par I enjoyed reading it. A brilliant work.
ReplyDeleteबहोत बहोत धन्यवाद..!!
Deleteबिना किसी मिलावट के हूबहू मन की सारी बातें लिखना और वो भी बिना ये सोचे कि पढ़ने वाला क्या सोचेगा....ये भी एक कला है...कमाल की कला !
ReplyDeleteबहोत बहोत धन्यवाद..!!
Deleteअद्भुत.... लेखनी 👏👏👏
ReplyDeleteबहोत बहोत धन्यवाद..!!
Deleteथोड़ी उलझन और परेशानी हुई समझने में पर अच्छा लगा।प्रेम के दो रूप। 🙂↕️बेहद खूबसूरत।और देखिए मेरे यहां भी बारिश हो रही है।😄💕
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया पढ़ने के लिए...!
Deleteहाँ, प्रेम बहरूपिया है..!!!