मैत्री में हमे बहुत कुछ सहन भी करना होता है। क्योंकि मित्रो की मजाक की कभी भी कोई सीमा नही होती। जब मैं पढ़ने के लिए बड़ौदा गया था तब प्रीतमने एक बार अननोन नंबर से रात के बारह बजे से धमकी भरे कॉल्स शुरू किए। मैं होस्टल की दीवार फांदकर केम्पस के मैन गेट तक लड़ने के लिए पहुंच गया था, क्योंकि उसने कहा मैं तुझे मारने के लिए केम्पस के गेट पर खड़ा हूँ.. ताजी ताजी फूटती युवानी थी, मैं भी अकेला ही चल पड़ा था, जबकि सोते हुए सिक्युरिटी गार्ड्स के अलावा कोई न था वहां। फिर लगभग डेढ़ दिन तक इसके धमकीभरे कॉल्स से परेशान होकर उसका नंबर होस्टल बॉयज के ग्रुप में डाल दिया, और फिर तो लड़कीं का नंबर समझकर होस्टेलबोयस ने इसे खूब परेशान किया था। सीधी बात है, मैत्री मजाक-मस्ती से और प्रगाढ़ होती है। फिर आते है कुछ गुप्त रहस्य.. जिनपर दोस्तो का एकाधिकार होता है.. कई बार उन गुप्तरहस्यो के नाम पर दोस्त हमे खूब लूटते है..!
प्रीतम ने एकसाथ कई कन्याओं से बाते (चेटिंग) करने में महारथ प्राप्त की है। है तो बदी, लेकिन उस उम्र में वह महारथ मानी जाती थी। अब मुझे उसका रहस्य प्राप्त हुआ कि कौन सी कन्या कहाँ है.. फिर तो कितने दिनों तक मैंने उसे ब्लैकमेल किया.. अगला हुआ भी। प्रीतम को एक बुरी आदत है फ़ोटो खींचने की। सिगरेट पीते हुए, हुक्का के दम की धूम्रशेर छोड़ते हुए, सुनहरे जलभरे ग्लासों के साथ कई फ़ोटो उसने मेरी खींच रखी है.. आज भी धमकी देता है.. मेंशन करके स्टोरी लगा दूंगा.. पूरी दुनिया के सामने जलील करूंगा। अब इस इज्जत को बचाने के लिए करना क्या होगा? तो बस सिगरेट पिला दे, या फिर चल नास्ता कर मेरे साथ, अच्छा नास्ते का बिल भी खुद भर देता है। कई छोटी बड़ी बातों के लिए बस स्टोरी मेंशन करने की धमकी, और मैं उसके वशीकरण के पाश में बंध जाता हूँ। यह धमकियां भी मैत्री को गाढ़ और मजबूत बनाती है।
गजा, आज तो जहरीला गजा है। लेकिन एक समय था जब मैंने इससे बहुत अच्छीखासी दूरी बना ली थी। जब उसने प्याले से परममित्रता कर ली थी। हररोज कहीं न कहीं गिरा हुआ मिलता, या खबर मिलती। लेकिन हमने कभी उससे पूरी तरह मित्रता खत्म नही की। एक आशा जरूर थी कि सुधरेगा, हम नही सुधार पाए तो समय सुधरेगा उसे। और एक दिन उसने वास्तव में दारू से दूरी कर ली। अच्छा, गजे की भी एक विशिष्ट लाक्षणिकता है। जबतक अनुभवसिद्ध न हो वह मानता नही, स्वीकारता नही। दारू छोड़ने की दवाई आती है, अगर दारूबाज ने दवाई के ऊपर दारू पी ली तो शरीर मे रिएक्शन आ जाएगा। घातक नही है दवाई पर पता चल जाएगा कि दवाई के ऊपर भी दारू पी है। गजे के स्नेहीजनों ने उसे यह दवाई दिलवाई। गजे ने दवाई के ऊपर दारू इस लिए पी की उसे जानना था कि रिएक्शन कैसा होता है। जब चहेरा लाल पड़ गया तब उसके लाल गाल पर मैंने भी एक तमाचा जड़ा था। क्या करते मित्र है, छोड़ भी नही सकते। लेकिन एकदिन जब उसने स्वयं ने छोड़ी तब मुझे इतनी खुशी हुई कि उसके सामने मैंने ही बोतल खोली, गिलास भरे, मैंने और प्रीतम ने गटगटाए भी तब भी गजे ने बोतल या ग्लास को छुआ भी नही। मतलब मनुष्य की इच्छाशक्ति ही सर्वोपरि है। अब इसके अनुभवसिद्धता के तो कई सारे प्रसंग है।
मित्रता में कई अनचाही बाते हमे स्वीकारनी होती है, तो हमारी मनचाही बात उसे भी.. क्योंकि यही संबंध पूर्णतः समानता पर निर्भर है। ऊंचनीच मित्रता में नही चलती।
बाकी बाद में लिखूंगा.. अचानक से बात बंध कर रहा हूँ यह मैं भी समझ रहा हूँ।
|| अस्तु ||