ડાયરી
सर्द में पुराने घाव फिर से जिन्दा हो उठते है... || SARD ME PURANE GHAAV.. || DIARY ||
December 29, 2023
तुम्हे पता है प्रिय? सर्द में पुराने घाव फिर से जिन्दा हो उठते है, लगभग सालभर पहले जहाँ एक शूल चुभा था, वह स्थान आज फि…
तुम्हे पता है प्रिय? सर्द में पुराने घाव फिर से जिन्दा हो उठते है, लगभग सालभर पहले जहाँ एक शूल चुभा था, वह स्थान आज फि…
અંગ્રેજકાલીન ભારતના રાજાઓ એક કાગળના ભાર હેઠે દબાઈ ગયા હતા. ઈ કાગળ હતો સંધિનું કરારનામું..! દિલ્લીના તખત માથે બેઠેલી મુઘ…
मन के झरने के आगे बाँध तो होता ही है न, लेकिन इस ह्रदय का क्या करे..! जहाँ देखो वहाँ कुछ न ढूंढता फिरता रहता है, हालाँक…
पता नही, क्या लिखूं..! सब कुछ तो तुम्हे पता है। मेरी चा (चाय) से लेकर बियर तक..! उंगलियों की दरारे बता दे उतने दिन बचे …
આગ્રાના તખ્ત ઉપર બિરાજતો મુઘલિયા સલ્તનતનો બાદશાહ શાહજહાં ઈ.સ. 1658ની આસપાસ બીમાર પડ્યો, ત્યારે એના ચાર દીકરા મુઘલિ…
धार्मिंक कट्टरता धीरे धीरे अपने चरम को प्राप्त कर रही हो ऐसा नहीं लगता आपको? कोई भी धर्म हो,कोई भी पंथ..! कल एक रील देख…