Showing posts from November, 2024

आधी अधूरी..

शहर से शहर की और... towards city to city...

संडे, बस संडे || Sunday, Bus Sunday..

कोरा कागज़ || Blank Paper ||

रिल्स बदनाम समंदर है... || Reels is an infamous sea

गुनाहों का देवता - लेखक धर्मवीर भारती || Book Review of Gunaho ka Devta by Dharamveer Bharti ||

मैं व्यस्त हूं। || I am busy..

हम धीरे धीरे एकांत की और अग्रसर हो रहे है... || We are slowly moving towards solitude..

जो भी हो, जो भी होगा, जो भी हुआ, सब देखी जाएगी प्रियंवदा ! || We will see.. ||

निराशा की गर्ता मुंह फाड़े कंटकमाला लिए सज्ज खड़ी होती है || The pit of despair stands ready with its mouth wide open.. ||

प्रियंवदा! मन की बात मानी जाए, या बेमन से ऐसे ही बकवास किया जाए? || The mind is shallow, it fills up very quickly...

प्रियंवदा ! यह सब तो जीवन का एक नया पन्ना पलटने जैसा है। || Priyamvada! All this is like turning a new page of life.